Supernova क्या है और कब होता है? Supernova in hindi
Supernova meaning in hindi.
आतंरिक्ष में हर रोज कुछ ना कुछ घटनाए होती रहती है| कई घटनाए ऐसी है, जिसके बारे में हम नहीं जान पाते है| कुछ ऐसी घटनाए है, जिसके बारे में इंसान बहुत कुछ जान लिया है| इसमें से एक घटना है, supernova यह एक अंतरीक्ष की बेहतरीन घटनाओ से एक है|
आज हम Supernova kya hai hindi में जानने वाले है| आपको अंतरीक्ष के बारे में जानने में इंटरेस्ट है, तो इस लेख को ध्यान से पढ़े और जाने supernova kya hai?
सुपरनोवा क्या होता है? (Supernova in hindi)
सुपरनोवा एक खगोलीय घटना होती है जो जब एक तारा अपने आवरण गैसों को खत्म कर लेता है तो उसके समूह में एक बहुत बड़ी तरंगदायी विस्फोट होता है। यह विस्फोट एक अत्यधिक उष्णता और ऊर्जा उत्परिवर्तन के साथ आकाश में एक बहुत बड़ी चमकदार तारा बनाता है। इस तारे का चमक सूर्य के चमक से भी तीखा होता है और यह धूमकेतु नामक वस्तुओं को भी विकसित कर सकता है।
सुपरनोवा कई प्रकार की होती हैं जैसे कि आयसोटोपिक तथा न्यूट्रोन सुपरनोवा आदि। ये सुपरनोवा अलग-अलग प्रकार के तारों से आते हैं जिनका अध्ययन वैज्ञानिकों द्वारा किया जाता है। सुपरनोवा वैज्ञानिक अध्ययन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती हैं क्योंकि इनसे हम बहुत सी जानकारियों को जान सकते हैं जो ब्रह्मांड की संरचना के बारे में हमें समझने में मदद कर सकती हैं।
सुपरनोवा कब होता है?(when does a supernova happen)
सुपरनोवा तब होता है जब एक तारे का जीवन समाप्त हो जाता है और उसके अंतिम चरण में यह उन तारों में से एक है जिनमें ताप और दबाव इतना बढ़ जाता है कि वह आसमान में बहुत तेजी से विस्फोट कर देता है। ये विस्फोट अपने पूरे तारे के आकार में एक बहुत बड़ी ऊर्जा उत्परिवर्तन और तेजी से बेल्टे रश्मियों और धूमकेतुओं का उत्पादन करते हैं।
सुपरनोवा तारों के अलग-अलग जीवन चक्रों में होते हैं। सबसे सामान्य रूप से, सुपरनोवा जब तक होता है जब तक तारा में हाइड्रोजन, हीलियम और अन्य अवशेष धन्यता से उपलब्ध होते हैं। इसके बाद, तारे में विस्फोट के बाद बचा हुआ वस्तुओं के अवशेष को अंतिम रूप देने के लिए जब कुछ तारों के केंद्र में आधुनिक तारे जन्म लेते हैं, तो ये अवशेष ब्रह्मांड में बिखर जाते हैं।
सुपरनोवा के प्रकार (types of supernova)
सुपरनोवा कई प्रकार की होती हैं, निम्नलिखित में से कुछ मुख्य प्रकार हैं:
टाइप 1 सुपरनोवा: ये सबसे सामान्य प्रकार की सुपरनोवा होती हैं और इस प्रकार की सुपरनोवा केवल एक छोटी सी तारे में होती हैं। इन सुपरनोवाओं को दो प्रकार में वर्गीकृत किया जाता है - टाइप 1a और 1b, जो अपने स्पेक्ट्रम में थोड़ा भिन्न होते हैं।
टाइप 2 सुपरनोवा: इन सुपरनोवाओं के जीवन चक्र में, दो तारे जोड़कर एक बड़े तारे का निर्माण करते हैं। जब बड़ा तारा इस बात से पूर्व तकनीकी कारणों से अस्थिर हो जाता है, तो वह तारा अपनी ऊर्जा को उच्चतम स्तर तक बढ़ाते हुए एक विस्फोट कर देता है।
3 हाइपरनोवा: ये एक असामान्य प्रकार की सुपरनोवा होती हैं और इनमें तारों के नीचे के तारों के साथ संघर्ष होता है। इसलिए ये अपने स्पेक्ट्रम में बहुत भिन्न होती हैं और अपनी ऊर्जा को बड़ी तेजी से बाहर फेंकती हैं।
4 उल्कापिंडी सुपरनोवा एक विशेष प्रकार की सुपरनोवा है जो कि बहुत उच्च तेजी से घुमते हुए तारों से होती है। इस प्रकार की सुपरनोवा में, तारे बहुत तेजी से घुमने लगते हैं और इससे तारों की बाहरी परतों में उल्का फूटने के कारण उत्पन्न होती है।
यह उल्का अत्यंत उच्च तेजी से फैलता है और एक बहुत तेज और उच्च ऊर्जा रेखा का निर्माण करता है। उल्कापिंडी सुपरनोवा इसलिए अन्य सुपरनोवा से अलग होती है क्योंकि इसमें तारे की घुमाव की ऊर्जा उल्का फूटने के दौरान बड़ी मात्रा में विस्फोट के रूप में उपयोग की जाती है।
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आज आपने जाना की supernova kya hai और supernova kab hota hai| यह लेख आपको कैसा लगा कमैंट्स में जरुर बताये और अपने दोस्तों से शेयर जरुर कीजियेगा|
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